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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Friday, 22 April 2016

22nd April, 2016 (Chaitra Shukla Paksha Poonam) is one of the most important Hindu festival HANUMAN JAYANTI

22nd April, 2016 (Chaitra Shukla Paksha Poonam) is one of the most important Hindu festival HANUMAN JAYANTI celebrated for birthday of Chiranjeevi Lord Hanuman, a most important personality in India’s Greatest Epic Ramayan, in Hinduism of India.
Goswami Tulsidas was the author of Pray-Stuties for Lord Hanumanji such as Hanuman Chalisa, Sankat Mochan Hanuman Ashtak, Bajrang Baan, Hanumanji Ki Aarti, Hanumat Stavan, Hanuman Bahuk, Hanuman Kavach (Ek Mukhi, Panch Mukhi, Sapta Mukhi, Ekadas Mukhi) and Sundar-Kand in Shri Ramcharitmanas (The Greatest Indian Epic Ramayan in the form of Poem Choupaiyan and Dohas).
When Bhagwan Shri Ram left this world to go back to Vaikunth, He asked Hanumanji to remain in this world and continue to chant Ram-Naam i.e. Ramayan so that the world could be benefited by it and that is what Chiranjeevi Lord Hanuman Dada continues to do to this day !
श्लोक :- 'अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥'
अर्थात् :- अश्वत्थामा, बलि, व्यास, भगवान हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम ये सभी चिरंजीवी हैं
श्रीहनुमत्-स्तवन (गोस्वामी श्रीतुलसीदास लिखित) :-
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् I
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् II
भावार्थ :- जहाँ-जहाँ भगवान श्रीरामचन्द्रजीके नामका कीर्तन और (रामायणकी)- कथा होती है, वहाँ-वहाँ आँखोंमें आँसू भरे हुए और नमस्कारकी मुद्रामें हाथ जोड़कर मस्तकसे लगाये हुए प्रपत्ति भावसे उपस्थित रहनेवाले, राक्षसोंका संहार करनेवाले पवनपुत्र हनुमानजीको में नमस्कार करता हूँ I
व्याख्या :- आज भी जहाँ रामायणकी कथा होती है, वहाँ हनुमानजीके लिए एक अलगसे आसान रहेता है जिस पर रामभक्त हनुमानजी आकर बेठते है और प्रतत्ति भावसे रामायण सुनते करते है I हनुमानजीको भगवान श्रीरामसे यह वरदान मिला है की अनेक जगहपे एक साथ रामायण श्रवण करनेके लिए अनेक शरीर धारण कर सकोंगे और जब तक इस जगतमें रामायणकी कथा होती रहेगी तुम जीवित रहोंगे अर्थात चिरंजीवी रहोंगे I
महिमा :- इस कलियुगमें एक हनुमानजी ही सबसे अधिक जाग्रत और साक्षात देव हैं

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