About Me

My photo
Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

Blog Archive

Tuesday 8 December 2015

गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी विरचित श्रीराम-स्तुति

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं I
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कंजारुणं II १ II
भावार्थ :- हे मन ! कृपालु भगवान श्रीरामचन्द्रजीका भजन कर I वे संसारके जन्म-मरणरूप दारुण भयको दूर करनेवाले हैं, उनके नेत्र नव-विकसित कमलके समान हैं, मुख-हाथ और चरण भी लाल कमलके सदॄश हैं II १ II
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं I
पट पीट मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं II २ II
भावार्थ :- उनके सौदर्यकी छटा अगणित कामदेवोंसे बढ़कर है, उनके शरीरका नवीन नील-सजल मेघके जैसा सुन्दर वर्ण है, पीताम्बर मेघरूप शरीरमें मानो बिजलीके समान चमक रहा है, ऐसे पावनरूप जानकीपति भगवान श्रीरामको में नमस्कार करता हूँ II २ II
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं I
रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं II ३ II
भावार्थ :- हे मन ! दीनोंके बंधु, सूर्यके समान तेजस्वी, दानव और दैत्योंके वंशका समूल नाश करनेवाले, आनन्दकन्द, कोसल-देशरूपी आकाशमें निर्मल चन्द्रमाके समान, दशरथनन्दन भगवान श्रीरामका भजन कर II ३ II
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं I
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं II ४ II
भावार्थ :- जिनके मस्तकपर रत्नजड़ित मुकुट, कानोंमें कुण्डल, भालपर सुन्दर तिलक और प्रत्येक अंगमें सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं, जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं, जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होंने संग्राममें खर-दूषणको जीत लिया है II ४ II
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं I
मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं II ५ II
भावार्थ :- जो शिव, शेष और मुनियोंके मनको प्रसन्न करनेवाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओंका नाश करने वाले हैँ ; तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे भगवान श्रीरघुनाथजी मेरे हृदयकमलमें सदा निवास करें II ५ II

No comments:

Post a Comment